England Ashes Criticism : Ashes सीरीज़ में इंग्लैंड की करारी हार के बाद टीम पर तीखी आलोचना हुई। एक पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि इंग्लिश खिलाड़ी खुद को तेंदुलकर से बेहतर समझते हैं। इंग्लैंड की रणनीति, बल्लेबाज़ी और टीम के रवैये पर उठे सवालों का पूरा विश्लेषण यहाँ पढ़ें।
खुद को तेंदुलकर से बेहतर समझते हैं’: Ashes में करारी हार के बाद इंग्लैंड पर भड़का क्रिकेट जगत
इंग्लैंड क्रिकेट टीम एक बार फिर भारी आलोचना के घेरे में है। Ashes सीरीज़ में मिली करारी हार ने टीम की रणनीति, खिलाड़ी चयन और रवैये पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया से लेकर पूर्व क्रिकेटरों तक, हर जगह इंग्लैंड के प्रदर्शन को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। एक प्रमुख बयान जिसने खास सुर्खियाँ बटोरीं, वह यह आरोप था कि “कुछ इंग्लिश खिलाड़ी खुद को तेंदुलकर से बेहतर समझते हैं।” यह टिप्पणी इंग्लैंड टीम की मानसिकता और ओवरकॉन्फिडेंस पर सीधा प्रहार मानी जा रही है।

इंग्लैंड का निराशाजनक प्रदर्शन
Ashes में इंग्लैंड का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। बल्लेबाज़ी क्रम लगातार लड़खड़ाता रहा और टीम बड़े स्कोर खड़ा करने में असफल रही। तेज़ गेंदबाज़ी भी उतनी प्रभावी नहीं रही जितनी उम्मीद थी।
पहले ही सेशन से इंग्लैंड पिछड़ना शुरू हो गया था और पूरे मैच में वे नियंत्रण हासिल नहीं कर पाए। बल्लेबाज़ों ने लापरवाही भरी शॉट सिलेक्शन की, जबकि गेंदबाज़ लाइन और लेंथ को बनाए रखने में विफल रहे। नतीजा यह हुआ कि ऑस्ट्रेलिया ने मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
तेंदुलकर वाला बयान क्यों आया?
तेंदुलकर का नाम वैश्विक क्रिकेट में सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है। उनसे बेहतर होने का दावा ना सिर्फ अवास्तविक है बल्कि अहंकार की निशानी माना जाता है।
पूर्व क्रिकेटर का यह बयान इंग्लैंड टीम के कुछ खिलाड़ियों की मानसिकता पर निशाना साधता है!
- वे खुद को ज़रूरत से ज़्यादा आंका हुआ मानते हैं
- टीम के प्रदर्शन की कमियों को स्वीकार नहीं करते
- मैदान पर ज़िम्मेदारी उठाने से बचते हैं
यह टिप्पणी इंग्लैंड के प्रदर्शन से ज्यादा उनके रवैये की आलोचना बन गई है और कई विशेषज्ञ इससे सहमत भी नज़र आ रहे हैं।
पूर्व खिलाड़ियों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया!
कई दिग्गजों ने कहा कि इंग्लैंड की सबसे बड़ी समस्या उनका “बज़बॉल” एप्रोच है, जिसमें आक्रामकता तो है, पर प्लानिंग और परिस्थिति के अनुसार खेलने की समझ की कमी है।
क्रिकेट विश्लेषकों के अनुसार—
- टीम टेस्ट क्रिकेट की गंभीरता को नजरअंदाज कर रही है
- खिलाड़ी अपनी गलतियों से सीख नहीं रहे
- तकनीक की कमी बार-बार उजागर हो रही है
कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने यह भी कहा कि इंग्लैंड को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। “सिर्फ एटीट्यूड से मैच नहीं जीतते, तकनीक और धैर्य भी चाहिए।”
क्या England टीम में बदलाव की जरूरत है?
कई विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इंग्लैंड को अपनी टीम में गंभीर बदलाव करने होंगे—
- युवा बल्लेबाज़ों को बेहतर गाइडेंस की जरूरत है
- अनुभव और फॉर्म को ध्यान में रखते हुए टीम चयन करना होगा
- गेंदबाज़ी अटैक को अधिक स्थिरता और रणनीति की आवश्यकता है
- टीम को मानसिक मजबूती बढ़ानी होगी
- विशेष रूप से टीम मैनेजमेंट पर सवाल उठ रहे हैं कि लगातार गिरते प्रदर्शन
- के बावजूद रणनीति में सुधार क्यों नहीं किया जा रहा।
ऑस्ट्रेलिया का दमदार नियंत्रण
ऑस्ट्रेलिया ने पूरे मैच में अनुशासन और कौशल दोनों का शानदार प्रदर्शन किया। उनकी गेंदबाज़ी सटीक थी और बल्लेबाज़ों ने पारियों को सँभालकर खेला।
जब भी इंग्लैंड ने वापसी की कोशिश की, ऑस्ट्रेलिया ने तुरंत दबाव बनाकर उन्हें रोक दिया। उनकी टीमवर्क और मैच रीडिंग क्षमता ने जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- Ashes में इंग्लैंड की हार केवल एक हार नहीं, बल्कि टीम की कमजोरियों का खुला प्रदर्शन भी है।
- तेंदुलकर वाला बयान इंग्लैंड की मानसिकता और ओवरकॉन्फिडेंस पर गहरी चोट करता है।
- यदि इंग्लैंड को भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करना है, तो उन्हें रवैया और रणनीति दोनों स्तर पर गंभीर बदलाव लाने होंगे।












