दिल्ली ब्लास्ट केस : दिल्ली ब्लास्ट केस में सुरक्षाबलों ने मुख्य आरोपी उमर नबी के घर को IED ब्लास्ट से ध्वस्त कर दिया। यह कड़ी कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ भारत की zero tolerance नीति को दर्शाती है।

घटना का संक्षिप्त परिचय
10 नवंबर 2025 को दिल्ली के लाल किले के पास एक कार में जबरदस्त विस्फोट हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों जख्मी हुए। जांच के बाद पता चला कि विस्फोट के पीछे उमर नबी नामक आतंकी था, जिसने इस साजिश को अंजाम देने के लिए विस्फोटक सामग्री से लैस कार चलाई थी। इसके बाद से उमर की तलाश तेज हुई।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई
पुलवामा में उमर नबी के आवास को गुरुवार और शुक्रवार की मध्यरात्रि को सुरक्षाबलों ने घेर लिया और आईईडी ब्लास्ट द्वारा उसका मकान पूरी तरह तबाह कर दिया। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर प्रशासन की निगरानी में की गई, और आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत की गई संपत्ति जब्ती की कार्रवाई का हिस्सा थी।
आतंकवाद के खिलाफ संदेश
यह कदम सुरक्षा एजेंसियों का आतंकवाद के प्रति zero tolerance नीति का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर ऐसी सख्त कार्रवाई से आतंकी संगठनों को मजबूत होते कदमों पर लगाम लगेगी और देश में आतंकवाद को फैलने से रोका जा सकेगा।
जांच की प्रगति और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
जांच एजेंसियों ने उमर नबी को न केवल लाल किला धमाके का मास्टरमाइंड बताया है, बल्कि उसके आतंकी नेटवर्क के अन्य सदस्यों की भी पहचान कर छापेमारी जारी रखी है। उसने जैश-ए-मोहम्मद के दुष्ट योजनाओं के तहत इस साजिश को अंजाम दिया था, जिसमें कई अन्य लोग भी शामिल थे।
भविष्य की सुरक्षा चुनौतियां
ऐसे आतंकवादी घटनाएं देश की
सुरक्षा के लिए चुनौती बनी हुई हैं।
हालिया घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा
बलों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है
और तकनीक के उपयोग से
आतंकवाद रोकने के उपाय तेज किए जा रहे हैं।
साथ ही जनता की सुरक्षा बनाए रखने के
लिए कड़े कानून और प्रभावी निगरानी आवश्यक है।
निष्कर्ष
दिल्ली ब्लास्ट केस में उमर नबी के घर को
सुरक्षाबलों द्वारा उड़ाने की कार्रवाई
आतंकवाद के खिलाफ कड़ी
लड़ाई में एक बड़ी सफलता
मानी जा रही है। इससे देश में
आतंकवाद विरोधी संघर्ष को नई
ताकत मिली है और आगे भी ऐसी
कार्रवाई जारी रहने की उम्मीद है।









