बंगाल गवर्नर विवाद बंगाल में सियासी संग्राम तेज, जब राजभवन से हथियार सप्लाई के आरोप लगे। गवर्नर ने पलटवार करते हुए कहा कि इसका जवाब अब कोर्ट में दिया जाएगा। जानिए पूरा विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
राजभवन में हथियार सप्लाई? गवर्नर आनंद बोस ने खोले राज के पर्दे

राजभवन से हथियार सप्लाई के गंभीर आरोपों ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया विवाद पैदा कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि राजभवन में हथियार और गोला-बारूद बांटे जा रहे हैं, और राज्यपाल सीवी आनंद बोस इस में शामिल हैं। इस आरोप पर राज्यपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे पूरी तरह से गलत और निराधार बताया है। उन्होंने सांसद कल्याण बनर्जी को सार्वजनिक तौर पर पश्चिम बंगाल की जनता से माफी मांगने या कोर्ट में जवाब देने की चेतावनी दी है।
आरोप और प्रतिक्रिया
कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि राजभवन में भाजपा के अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा है और उन्हें हथियार उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमले किए जा सकें। उनका यह भी दावा है कि राज्यपाल इस हथियार सप्लाई की भूमिका में शामिल हैं। यह आरोप बंगाल की सियासी भू-भाग को और अधिक गर्मा देने वाला था।
इसके जवाब में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि ये आरोप अतिशयोक्ति और बिना आधार के हैं। उन्होंने बताया कि राजभवन को जनता, मीडिया और नागरिक समाज के लिए खोल दिया गया है ताकि वे स्वयं जांच कर सकें कि क्या वहां हथियार या गोला-बारूद रखा गया है या नहीं। उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस की सुरक्षा में राजभवन है, इसीलिए हथियारों का परिसर में रहना संभव नहीं है।
कानूनी कार्रवाई का एल्टीमेटम
राज्यपाल आनंद बोस ने स्पष्ट किया कि यदि कल्याण बनर्जी अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाती हैं और माफी नहीं मांगतीं, तो उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद द्वारा लगाए गए दावे बंगाल की पुलिस और प्रशासन की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। आनंद बोस ने कहा, “अगर आरोप गलत साबित होते हैं तो सांसद को बंगाल की जनता से माफी मांगनी होगी।”
राजभवन की पारदर्शिता
राजभवन ने अपने परिसर को जांच के लिए पूरी तरह खोल दिया है। सुबह पांच बजे से ही सरकारी कर्मचारी, पत्रकार और नागरिक समाज के लोग उपस्थित हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी हथियार या गोला-बारूद राजभवन में नहीं है। राज्यपाल ने इसे ‘अंधेरे में काली बिल्ली की खोज’ के समान बताया और आरोपों को पूरी तरह निराधार ठहराया।
राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ
- यह विवाद पश्चिम बंगाल की राजनीतिक जंग को और तीखा कर रहा है।
- टीएमसी और बीजेपी के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
- राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है और वह संवैधानिक मर्यादाओं के तहत कार्य करता है,
- लेकिन टीएमसी सांसदों के आरोपों ने इस पद की गरिमा को चुनौती दी है।
- इस मामले में सोशल मीडिया और जनमत की भी बड़ी भूमिका देखी जा रही है,
- जहां इस मुद्दे पर तीखी बहस हो रही है।
निष्कर्ष
- राजभवन से हथियार सप्लाई के आरोपों पर बंगाल के राज्यपाल सीवी
- आनंद बोस की तीखी प्रतिक्रिया ने एक बड़ा राजनीतिक ड्रामा खड़ा कर दिया है।
- उन्होंने आरोपों को बिना प्रमाण के लगाना बताया और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
- इस मामले में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राजभवन खुला रखा गया है ताकि हर कोई जांच कर सके।
- यह मामला पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्थिरता और
- प्रशासनिक विश्वसनीयता के लिए एक बड़ा परीक्षण बन गया है।
- आने वाले दिनों में कोर्ट की प्रक्रिया और जांच रिपोर्ट से ही
- इस विवाद का अंतिम नतीजा सामने आएगा।
- तब तक यह विवाद राज्य की राजनीति में गरमाहट बरकरार रखेगा।










