अदब कीजिए हमारी ख़ामोशी का,
तुम्हारे ऐब छुपाए बैठे है
चुप चाप गुज़ार देंगे तेरे बिन भी ये जिंदगी,
लोगो को सीखा देंगे मोहब्बत ऐसे होती है
सुना है तुम शोक नही रखते मोहब्बत का,
मगर यकीन मानो बर्बाद तुम कमल करते हो
मैं इसलिए भी नही टिकता रिश्तों में,
वो पत्रा पलटते है और मैं किताब जला देता हु
तुमने देखी ही नही हमारी फूलो जैसी वफा,
हम जिसपे खिलते है, उसी पे मुर्झा भी जाते है
किसी के पास यकीन का कोई इक्का हो तो बताना,
हमारे भरोशे के तो सारे पत्ते जोकर निकले
ना कर ज़िद अपनी हद में रह ए दिल,
क्योंकि वो बड़े लोग हैं अपनी मर्जी से बात करेंगे