अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो अब कहां हम साथ हैं, तुम्हारे साथ भी बर्बाद थे तुम्हारे बाद भी बर्बाद हैं

अदा कातिल, निगाह कातिल, जुबां कातिल बयां कातिल, बता कातिल, कहा जाऊं, जहा जाऊं वहां कातिल

इश्क ने देखो कैसी तबाही मचा रक्खी है, आधी दुनियां पागल, आधी शायर बना रक्खी है

बिछड़ा वो इस कदर के रुत ही बदल गई, एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया

किसी को तो रास आयेंगे हम भी, कोई तो होगा जिसे सादगी पसंद होगी

खुदा बदल ना सका आदमी को आज भी, और आदमी में सैकड़ों खुदा बदले

अजीब जुर्म करती हैं तेरी यादें, सोचू तो बिखर जाऊं, ना सोचूं तो किधर जाऊं