उठाकर फूल की पत्ती नजाकत से मसल डाली, इशारे से कहा हम दिल का ऐसा हाल करते हैं

कोशिश तो बहुत करता हु खुश रहने की पर, नसीब में ही खुशियां ना लिखी हो तो क्या करू

करनी नही आती तुम्हे मोहब्बत फिर भी करते हो, पाना भी नही चाहते और खोने से डरते हो

चूम कर मेरे कफन को उसने क्या खूब कहा, नया कपड़ा क्या पहन लिया अब तो बात भी नही करते

लगा कर इश्क की बाजी सुना है रूठ बैठे हो, मोहब्बत मार डालेगी अभी तुम फूल जैसे हो

मुझे इसलिए बनाया उस भगवान ने, क्योंकि वो देखना चाहते थे, इंसान किस हद तक दर्द सह सकता है

किस्मत कुछ ऐसी थी के चैन से जीने की हिम्मत ना हुई, जिसको चाहा वो मिला नही, जो मिला उससे मोहब्बत ना हुई