तुम ज़माने के हो हमारे सिवाय हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं

अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो, दिल मेरा था और धड़क रहा था वो।

लिखना था कि खुश हैं तेरे बगैर भी यहां हम

सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है, उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है