कान्हा की वंशी की पुकार श्री राधा रानी है,  घनश्याम के जीवन का सार श्री राधा रानी हैं।

प्रेम का परिचय है राधा-कृष्णा,  प्रेम में पवित्रता का प्रतीक है राधा-कृष्णा।

कान्हा के प्रेम को श्री राधा रानी जी ही पूरा करती हैं एक ऐसा प्रेम जो युगों-युगों से अमर है, युगों-युगों के लिए।

क्या गोकुल, क्या बरसाना,  यहाँ तो सारा ब्रज धाम ही साक्षी है  राधा-कृष्णा के पवित्र प्रेम का।

श्री राधा जी के नाम में कान्हा का संसार है,  सीमाओं और बंधनों से परे ही होता सच्चा प्यार है।

कान्हा के प्राणों में है केवल राधा,  राधा का जीवन ही घनश्याम हैं।

कान्हा की हर धड़कन में जिनका वास है,  उन्हीं श्री राधा जी का पूरा ब्रज धाम है।

कैसी व्यथा होगी ब्रज की जब राधा-कान्हा बिछड़े होंगे,  पेड़-पत्ते और यह मौसम उस विरह की आग में जले होंगे।

प्रेम की गाथाओं में एक गाथा राधा-कान्हा की है,  जिस गाथा से सम्मानित होता प्रेम आज भी है।

राधा जी के रोम-रोम में कान्हा और कान्हा की हर  धड़कन में राधा जी का नाम होना, यही प्रेम प्रतिज्ञा थी।

“राधा का प्रेम कृष्ण के प्रति एक समर्पण है, जो प्रेम की सच्ची परिभाषा है।”