सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती हैं जिसमे उम्र बीत भी जाए तो सजा पूरी नहीं होती

सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो

मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझको

जी चाहे कि दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर

पूछते हैं मुझसे की शायरी लिखते हो क्यों लगता है जैसे आईना देखा नहीं कभी