वादों की तरह इश्क भी आधा रहा,
मुलाकाते आधी रही इंतजार ज्यादा रहा…!
उम्र नही थी इश्क करने की,
बस एक चेहरा देखा और गुनाह कर बैठे
मोहतरमा आज हम फिर तुम्हारी यादों में बह गए,
चाय पूरी पी ली मगर बिस्कुट रह गए…
अगर मेरे पास दुनियां की सारी खुशियां होंगी,
उस वक्त भी मुझे खुवाइश तेरी ही रहेगी