मेरे लफ्ज़ फ़ीके पड़ गए तेरी अदा के सामने, मैं तुझे ख़ुदा कह गया अपने ख़ुदा के सामने।

ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है !!

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले।

क्या करोगे हमसे जवाब ए इश्क़ लेकर, कह तो दिया है तेरे थे और तेरे ही रहेंगे।