प्यार और तकरार से, बनता ये रिश्ता ख़ास है लफ़्ज़ों में कैसे कहूँ बहनो का प्यार, ये तो बस एहसास है।

कभी रूठ जाए, कभी बेवजह लड़ती है क्योंकि बहना मेरी मुझे, बेहद प्यार करती है।

मेरे दुखों को क्षण भर में, समझ जाती है दीदी मुझे आख़िर, सबसे ज़्यादा चाहती है।

प्रेम का वो सागर है, स्नेह का है झरना दीदी मेरी लाखों में एक है, उसके बारे में क्या ही कहना।