नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो, मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो, मैं अपनी सोच को तेरी गली में छोड़ आया हूँ, मेरे वजूद को ख़्वाबों के घर में रहने दो।

वो मुझ तक आने की राह चाहता है, लेकिन मेरी मोहब्बत का गवाह चाहता है, खुद आते जाते मौसमों की तरह है, और मुझसे मोहब्बत की इन्तहा चाहता है।

ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा, मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा, तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं, तुम्हारी नफरतों की पीर को ज़िंदा नहीं रखा।

सिर्फ एक बार आओ दिल में देखने मोहब्बत अपनी, फिर लौटने का इरादा हम तुम पर छोड़ देंगे।