जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है, इन दो शब्दों में सारा सुख व्याप्त है।
सोच का ही फ़र्क होता है, वरना समस्याएं आपको कमजोर नही बल्कि मज़बूत बनाने आती हैं…
प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ भगवान पर निर्भर करता है
और प्रयास ऐसे करो जैसे सब कुछ आप पर निर्भर करता है…
अकेले हो तो विचारों पर काबू रखो
और सबके साथ हो तो जुबान पर काबू रखो…