आया सावन का महीना नज़र आया झूला दिल को भाया मिरी आंखों में समाया झूला

किसी की ख़ातिर हो फूल सावन मिरे लिए तो बबूल सावन न जाने कब था ये पानी पानी है इस बरस धूल धूल सावन

झूम रही हैं बदरिया सावन की,बरस रहा है नीर धरती पे पानी की।मन में उमंग है त्योहार मनाने की,शिव को रिझाने की तैयारी है दानी की।”

बेलपत्र चढ़ाए, दीप जलाए,शिव शंकर को मनाए।सावन का महीना आया है,खुशियों की बहार लाया है।”