अब तन्हाई में बस ये आहें रह गई हैं, बेजान दिल में अब भी तेरी यादें रह गई हैं।

रात की चादर में छिपी ये तारे गवाह हैं, दिल की गहराइयों में अब भी तेरे ख्वाब रह गए हैं।

कैसे भुलाऊँ तुझे, दिल को ये दर्द भी अजीब है, बीते पलों की तस्वीरें, अब भी मेरी आँखों में छुपी हैं।

तेरी ख़ामोशी में भी बसी है मेरी बेबसी, कभी आवाज़ तो दे, मेरी ज़िन्दगी की तलाश में।

ज़िंदगी के सफर में, दर्द और ग़म की राह, हर दिन है नया इंतज़ार, हर रात है तन्हाई का विहान।