अपने हाथों से यूँ चेहरे को छुपाते क्यूँ हो, मुझसे शर्माते हो तो सामने आते क्यूँ हो, तुम भी मेरी तरह कर लो इकरार-ए-वफ़ा अब, प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यूँ हो?

हर दर्द की दवा हो तुम, आज तक जो मांगी मेरी एक लौटी दुआ हो तुम, तुम्हे मिलने की तमन्ना नहीं उठती कभी, क्यूंकि जो हर वक़्त साथ रहती है वो हवा हो तुम.

ना तो पूरे मिल रहे हो ना ही खो रहे हो तुम, दिन-ब-दिन और भी दिलचस्प हो रहे हो तुम।

ये हमारी मोहब्बत है या कुछ और ये तो पता नही, लेकिन जो तुमसे है, वो किसी और से नही।