तेरे दीदार का नशा भी अजीब है, तू ना दिखे तो दिल तड़पता है, और तू दिखे तो नशा और चढ़ता है
न कभी बदले ये लम्हा, न बदले ये ख्वाहिश हमारी, हम दोनो ऐसे ही रहे एक दूसरे के, जैसे तुम चाहत और मैं ज़िंदगी तुम्हारी
कितना भी मिलो, मन नही भरता,, मंदिर में मिलने वाले प्रसाद की तरह लगते हो तुम
बहुत खूबसूरत है तेरे साथ ज़िंदगी का सफर, तुम वहां से याद करते हो तो हम यहां से मुस्कुराते हैं
न जिद है न कोई गुरुर है हमे, बस तुम्हे पाने का सुरुर है हमे, इश्क गुनाह है तो गलती की हमने, सजा जो भी हो मंजूर है हमे