नही होते हो,
तब भी होते हो तुम,
हर वक्त जाने क्यों,
महसूस होते हो तुम
राहे मुहब्बत में जो भी मुकाम आए,
सांसे हो कम पर हर सांस में नाम तुम्हारा आए
जिन्हे याद कर के मुस्कुरा दें ये आंखे,
वो लोग दूर होकर भी दूर नही होते
जुदा होकर भी जुदाई नही होती
उम्रकैद है इश्क जिसमे रिहाई नही होती
एक ही बात जमाने की किताबों में नही,
जो नशा है तेरी मुहब्बत में वो शराबों में नही
सुबह शाम तू मेरी इबादत सा लगे,
जो कभी न छूटे वो आदत सा लगे
ना होकर भी तुम मौजूद हो मुझमें,
क्या खूब तुम्हारा वजूद है मुझमें