पापा का वो कहना, ‘मेरी बेटी, मेरी राजकुमारी’, जैसे हर बेटी के लिए एक सुरक्षा कवच हो।
पिता की उंगली थाम के चलना सिखा है,बेटी ने जीवन के हर सफर को पहचाना है।उनकी डांट में प्यार छुपा, उनकी बात में इकरार,ये रिश्ता है अनमोल, बेटी के लिए पिता का प्यार।
बेटी के कदमों में, पिता के सपने सजते हैं,उसकी हंसी में, उनके जहान के रंग बजते हैं।
बाप और बेटी का रिश्ता, समंदर से भी गहरा है, जहाँ बेटी की खुशियाँ ही बाप का किनारा है।