गुस्सा उस पर नहीं खुद पर आता है, की मैंने उसे इतना क्यों चाहा
बदला नहीं हूँ मै मेरी भी कुछ कहानी है बुरा बन गया मै बस अपनों की मेहरबानी है
काश कोई मेरा भी होता जो कहता मत रोया कर तेरे रोने से मुझे भी तकलीफ होती है
धोखे से डरती हूँ साहब इसलिए अकेला ही रहना पसंद करती हूँ
कभी कभी इन्सान न टूटता है, ना बिखरता है बस हार जाता है कभी किस्मत से तो कभी अपनों से