चांदी आयात गिरावट 42% : दिवाली 2025 पर भारत में चांदी की कमी: आयात 42% गिरा, अमेरिका की डिमांड और ईटीएफ खरीदारी ने बढ़ाई मुश्किल। जानिए कारण, प्रभाव और भविष्य के अनुमान।
इस बार दिवाली से पहले भारत में चांदी की भारी कमी देखने को मिल रही है। दुनिया के सबसे बड़े चांदी खरीदार देश भारत में त्योहारी मांग के बीच आपूर्ति की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। चांदी की कीमतें वैश्विक स्तर से 10 फीसदी तक अधिक हो गई हैं जिससे निवेशकों और ज्वेलर्स दोनों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है!
चांदी की कमी के मुख्य कारण

- पिछले चार साल से वैश्विक स्तर पर चांदी की मांग आपूर्ति से अधिक रही है। पिछले पांच सालों में जमा हुई
- अतिरिक्त चांदी की आपूर्ति अब समाप्त हो चुकी है। 2025 में भी उत्पादन मांग को पूरा नहीं कर पा रहा है।
- चांदी का लगभग 70 फीसदी हिस्सा अन्य धातुओं की खदानों से उप-उत्पाद के रूप में निकलता है
- जिसके कारण कीमत बढ़ने पर भी उत्पादन तुरंत नहीं बढ़ाया जा सकता!
आयात में भारी गिरावट
- भारत अपनी 80 फीसदी से अधिक चांदी विदेशों से आयात करता है। लेकिन 2025 के पहले आठ महीनों में
- चांदी का आयात 42 फीसदी घटकर 3,302 टन रह गया। इसके बावजूद, निवेशकों की मांग, खासकर चांदी ईटीएफ
- में, बहुत तेजी से बढ़ी है। इससे 2024 में जमा किया गया अतिरिक्त स्टॉक खत्म हो गया और अब
- आयात बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन वैश्विक स्तर पर आपूर्ति सीमित है.
अमेरिका की भूमिका
सितंबर 2025 में अमेरिका ने चांदी को अपने रणनीतिक खनिजों की सूची में शामिल किया, जिसके बाद वहां चांदी के बड़े पैमाने पर शिपमेंट भेजे गए। इसने वैश्विक बाजार में चांदी की उपलब्धता को और सीमित कर दिया, जिससे भारत जैसे आयातक देशों की मुश्किलें बढ़ गईं.
ईटीएफ ने खरीदारी रोकी
- चांदी ईटीएफ में सितंबर में 53.42 अरब रुपये का रिकॉर्ड निवेश आया, जो अक्टूबर में भी जारी रहा।
- नियमों के अनुसार, इन फंड्स को निवेशकों के अनुसार चांदी खरीदकर रखनी पड़ती है।
- लेकिन बाजार में चांदी की कमी और ऊंची कीमतों के कारण खरीदारी करना महंगा हो गया।
- निवेशकों को ऊंचे दामों पर खरीदारी से बचाने के लिए कई ईटीएफ ने नई खरीदारी अस्थायी रूप से रोक दी है.
ज्वेलर्स और उपभोक्ताओं पर असर
- चांदी की कमी से ज्वेलर्स को त्योहारी मांग पूरी करने में कठिनाई हो रही है। चांदी के बर्तन, सिक्के और बार
- बहुत महंगे बिक रहे हैं। लोग कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद में पुरानी चांदी नहीं बेच रहे,
- जिससे स्क्रैप की आपूर्ति भी कम है। लॉजिस्टिक समस्याएं और लंदन में चांदी उधार लेने की लागत
- में 30 फीसदी से अधिक की वृद्धि ने बाजार को और तंग कर दिया है.
- चांदी की यह कमी अस्थायी नहीं है। सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और उच्च-तकनीक
- उद्योगों में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है।
- भारत को न केवल आयात बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि घरेलू स्तर पर चांदी के पुनर्चक्रण और वैकल्पिक सामग्री
- के अनुसंधान पर भी ध्यान देना होगा। त्योहारी सीजन में चांदी की कीमतें और बढ़ सकती हैं
- इसलिए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए!