Introduction of Computer /कंप्यूटर का परिचय!
April 17, 2024 2024-06-15 5:32Introduction of Computer /कंप्यूटर का परिचय!
Introduction : Computer
कंप्यूटर क्या है ?What is Computer?
परिभाषा : कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को स्वीकार करता है, उसे प्रोसेस करता है और परिणाम प्रदान करता है।
DATA
डाटा तथ्य या आकड़ा होता है!
किसी भी व्यक्ति या किसी जगह के बारे में जानकारी को डाटा कहा जाता है
उदहारण : इन्टरनेट की दुनिया में डाटा क्या होता है जैसे: इमेज ,विडियो ,ओडिया,
उदहारण : आप स्टूडेंट है आपकी आईडी कार्ड है जिसमे आपकी पूरी जानकारी होती है वो आपका डाटा होता है
जैसे : नाम ,पिता का नाम ,माता का नाम, स्कूल का नाम ,कोर्स का नाम ,क्लास का नाम ये सभी जानकारी ही डाटा कहलाता है !
डाटा को दो भागों में विभाजित किया गया है।
1. संख्यात्मक डाटा (Numerical Data):
संख्यात्मक डेटा: संख्यात्मक डेटा वह डेटा है जो संख्याओं के रूप में होता है।
इसमें संख्याएं, आँकड़े, मात्राएं, या किसी भी प्रकार के गणनात्मक डेटा शामिल हो सकता है।
संख्यात्मक डेटा (Numerical Data) के उदाहरण निम्नलिखित हो सकते हैं:
विज्ञान अनुसंधान में तापमान, दबाव, और आवेशांक जैसे मात्रात्मक मापों की जानकारी।
वित्तीय लेखा में लेन-देन, आय, और खर्च की राशियों का विवरण।
गणितीय अध्ययनों में श्रेणी, प्रतिशत, और गणनात्मक फलों के डेटा।
आर्थिक विश्लेषण में शेयर बाजार के लिए मूल्य और आंकड़ों का विवरण।
जलवायु विज्ञान में बारिश की मात्रा, तापमान, और हवा की गति जैसे मात्रात्मक डेटा का उपयोग किया जाता है।
2. चिन्हात्मक डाटा (Alphanumeric Data):
एल्फान्यूमेरिकल डेटा एक प्रकार का डेटा है जो अल्फाबेट और संख्याओं का संयोजन होता है। इसमें अक्षरों, संख्याओं, और संकेतों का मिश्रण होता है।
यह डेटा उपयोगकर्ताओं के नाम, पते, ईमेल आईडी, वेबसाइट URLs, या किसी अन्य साइबर संबंधित जानकारी को प्रदर्शित कर सकता है।
इसे इंटरनेट पर रजिस्टर किया गया डोमेन नाम, सोशल मीडिया हैंडल, या बैंकिंग खातों के नंबर जैसे डेटा के उदाहरण में देखा जा सकता है।
Example:
एल्फान्यूमेरिकल (Alphanumeric Data) डेटा के उदाहरण निम्नलिखित हो सकते हैं:
यूज़र आईडी: उपयोगकर्ताओं के नामों के साथ संख्याएं, जैसे कि “user123” या “john_smith789″।
पासवर्ड: एक कोड जिसमें अक्षरों और संख्याएं का मिश्रण होता है, जैसे “Password1234″।
फ़ोन नंबर: एक संख्यात्मक और अल्फान्यूमेरिकल कॉम्बिनेशन, जैसे “123-456-7890” या “+91-9876543210″।
वेबसाइट URLs: वेब पते जो अक्षरों और संख्याओं का मिश्रण होता है, जैसे “www.example.com/page123″।
सोशल मीडिया हैंडल: उपयोगकर्ता नामों के साथ संख्याओं का मिश्रण, जैसे “@username123″।
सूचना (Information): डाटा का उपयोगिता के आधार पर किये गये Process के बाद प्राप्त Output को Information कहते हैं। “Or” Processed Data को Information कहते है।
डेटा प्रोसेसिंग क्या है? – Data Processing :
- डेटा प्रोसेसिंग एक प्रक्रिया है जिसमें डेटा को इकट्ठा (collect) किया जाता है और फिर इस डेटा को उपयोगी जानकारी में बदल दिया जाता है.
- दुसरे शब्दों में कहें तो, “डेटा प्रोसेसिंग कच्चे डेटा को इकट्ठा करने और उसे उपयोग की जा सकने वाली जानकारी में बदलने की एक विधि (method) है।“
- Data Processing की प्रक्रिया को डेटा साइंटिस्ट और डेटा इंजीनियर के द्वारा पूरा किया जाता है.
- डेटा प्रोसेसिंग का मुख्य उदेश्य कच्चे डेटा को एक ऐसे डेटा में बदलना होता है जिसे मनुष्य आसानी से समझ सके। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्य शामिल है जैसे :- डेटा को कलेक्ट करना , डेटा को फ़िल्टर करना , डेटा का विश्लेषण करना आदि।
- डेटा प्रोसेसिंग को दो तरीकों से किया जाता है पहला Automatic और दूसरा Manual. जब डेटा प्रोसेसिंग अपने आप होती है तब इसे ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग कहते हैं और जब प्रोसेसिंग किसी व्यक्ति के द्वारा की जाती है तब इसे मैनुअल प्रोसेसिंग कहते हैं।
- Data Processing की प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा करना जरुरी होता है क्योंकि अगर इसमें कुछ भी गलती हुई तो इससे बिज़नस में बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है.
- डेटा प्रोसेसिंग का इस्तेमाल बिज़नस में किया जाता है, इसका इस्तेमाल करने से बिज़नस में बहुत ज्यादा फायदा होता है और कंपनी अपने कस्टमर को बेहतर तरीके से समझ सकती है.
Stages of Data Processing – डेटा प्रोसेसिंग के चरण
इसके कुल 6 चरण होते है जिनके बारे में नीचे बताया गया है :-
- Data Collection
- Data Preparation
- Data Input
- Processing
- Data Output
- Data Storage
डाटा (Data) और इनफार्मेशन (Information) में क्या अंतर है ?
डाटा (Data):
डाटा कच्चा और बिना मतलब की जानकारी होती है।
यह केवल तथ्य, आंकड़े, और मापदंड होते हैं जो किसी विशिष्ट संदर्भ(कुछ ऐसा जो किसी व्यक्ति या वस्तु को योग्य या वांछनीय मानकर उसकी अनुशंसा करता है (या उसकी प्रशंसा व्यक्त करता है)।) में एकत्र किए जाते हैं।
डाटा को विभिन्न रूपों में संग्रहीत(stored)किया जा सकता है जैसे कि संख्याएँ, अक्षर, प्रतीक, चित्र, आदि।
उदाहरण के लिए, “23”, “राहुल”, “15/05/2024” ये सभी अलग-अलग डाटा पॉइंट्स हैं जिनका अकेले कोई मतलब नहीं है।
इनफार्मेशन (Information):
इनफार्मेशन को संसाधित, संगठित(processed, organized) और संरचित डाटा(Structured data) माना जाता है जो समझने योग्य और उपयोगी होता है।
यह डाटा को ,एक अर्थ देकर बनाया जाता है।
इनफार्मेशन का उद्देश्य निर्णय लेने में मदद करना होता है और यह उपयोगकर्ता के लिए मूल्यवान होती है।
उदाहरण के लिए, “राहुल का जन्मदिन 15 मई 2024 को है” एक इनफार्मेशन है, जो ऊपर दिए गए डाटा पॉइंट्स को जोड़कर बनाई गई है।
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोंसेसिंग (Electronic Data Processing): इलेक्ट्रॉनिक विधि से Data Process करने की प्रक्रिया Electronic Data Processing कहलाती है।
अनुदेश (Instruction): Computer को कार्य करने के लिए दिए गए आदेशों (Commands) को Instruction कहां जाता है।
प्रोग्राम (Program): Computer को दिए जाने वाले आदेशो के समूह को प्रोग्राम कहते है !(The group of commands given to the computer is called a program.)
सॉफ्टवेयर (Software): (1) सॉफ्टवेयर बिल्कुल हार्डवेयर से बिपरित होता है, हार्डवेयर को हम देख और छु सकते है लेकिन सॉफ्टवेयर को हम छु नहीं सकते और देख सकते है। क्योंकि सॉफ्टवेयर का कोई भौतिक रूप नहीं होता है यह एक आभासी होता है जिसे हम समझ और अभाष कर सकते है।
(2) सॉफ़्टवेयर एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग किसी डिवाइस पर चलने वाले एप्लिकेशन, स्क्रिप्ट और प्रोग्राम को संदर्भित करने के लिए कि या जाता है।
कम्प्यूटर को चालू करना (Turn On Computer):
Computer On करने के लिए Power Cable को Power Board में लगाकर Power Switch On कर लेते हैं।और यदि UPS लगा हो तो उसे भी On कर लेते है।
इसके बाद CPU से Power Switch Press करते हैं। जिससे Computer on होने लगता है, और कुछ समय में On होकर Desktop Show होने लगता है।
कम्प्यूटर Off करना (Turn Off Computer): Computer बन्द करने के लिए Start Button पर click करते हैं जिससे Start Menu Open होता हैं, जिसके Shut Down / Turn Off पर Cilckकरने से Computer कुछ समय में बंद हो जाता है।इसका Short Cut (Alt + F4) होता है।
Booting: Computer को On करने की प्रक्रिया Booting कहलाती है। Booting दो प्रकार की होती है।
1. Cold Booting:(1) बन्द Computer को On करना Cold Booting कहलाता है।
(2) कोल्ड बूट एक ऐसी विधि है जिसमें कंप्यूटर को पहले बंद किया जाता है या उसे एक कमांड दी जाती है जिससे वह पुनः चालू हो जाता है। कोल्ड बूट प्रक्रिया के दौरान एक मानक कंप्यूटर एक छोटा सा सॉफ्टवेयर चलाएगा। इस बिंदु पर एक दूसरा प्रोग्राम लॉन्च किया जाता है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करने के लिए जिम्मेदार होता है।
2. Warm Booting: On Computer को Restart करना Warm Booting कहलाताहै।
Computer का Full form
C= Common(सामान्य)
O= Operating (कार्य करने वाला)
M= Machine(मशीन)
P= Particular(विशेषरुपसे)
U= Use Full(उपयोगी)
T= Technical/Trade(तकनीकी)
E= Education(शिक्षा)
R= Research(अनुसंधान)
कम्प्यूटर की विशेषताएं (Characteristics of Computer):
- गति (Speed): कंप्यूटर बहुत तेज गति से कार्य कर सकता है। यह प्रति सेकंड लाखों और अरबों गणनाएँ कर सकता है। उदाहरण के लिए, सुपरकंप्यूटर प्रति सेकंड ट्रिलियनों गणनाएँ कर सकते हैं।
- शुद्धता (Accuracy): कंप्यूटर द्वारा किए गए कार्य अत्यंत शुद्ध होते हैं। त्रुटियाँ सामान्यतः मानव जनित होती हैं, जैसे गलत डेटा इनपुट करना।
- स्वचालन (Automation): एक बार निर्देश दिए जाने के बाद, कंप्यूटर बिना किसी मानव हस्तक्षेप के स्वचालित रूप से कार्य कर सकता है।
- संग्रहण क्षमता (Storage Capacity): कंप्यूटर बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहीत कर सकता है। इसमें प्राइमरी स्टोरेज (रैम) और सेकेंडरी स्टोरेज (हार्ड ड्राइव, एसएसडी) शामिल होते हैं।
- बहुकार्यण (Multitasking): कंप्यूटर एक साथ कई कार्य कर सकता है, जैसे कि एक ही समय में संगीत चलाना, दस्तावेज़ लिखना और इंटरनेट ब्राउज़िंग करना।
- विविधता (Versatility): कंप्यूटर विभिन्न प्रकार के कार्यों को कर सकता है, चाहे वह वैज्ञानिक गणनाएँ हों, ग्राफिक्स डिज़ाइन हो, या डेटा प्रोसेसिंग हो।
- विश्वसनीयता (Reliability): कंप्यूटर लगातार और बिना किसी थकान के कार्य कर सकता है। इसका हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लंबे समय तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- संचार (Communication): कंप्यूटर इंटरनेट के माध्यम से विश्व भर में अन्य कंप्यूटरों और उपकरणों के साथ संचार कर सकता है, जिससे डेटा और सूचना का आदान-प्रदान संभव होता है।
- समय की बचत (Time Saving): कंप्यूटर जटिल और समय लेने वाले कार्यों को बहुत कम समय में पूरा कर सकता है, जिससे समय की बचत होती है।
- स्वचालन (Consistency): कंप्यूटर एक ही कार्य को बार-बार बिना किसी बदलाव या त्रुटि के कर सकता है, जिससे निरंतरता बनी रहती है।
कुम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of Computer):
- स्वतंत्र सोच की कमी (Lack of Independent Thinking): कंप्यूटर स्वयं से सोच नहीं सकता। यह केवल उन्हीं निर्देशों का पालन करता है जो उसे दिए जाते हैं। इसका कोई अपना विवेक या निर्णय क्षमता नहीं होती।
- भावनाओं की कमी (Lack of Emotions): कंप्यूटर में भावनाएं नहीं होती। यह मनुष्यों की तरह प्रेम, नफरत, खुशी या दुख महसूस नहीं कर सकता। इसके निर्णय और क्रियाएँ पूरी तरह से तार्किक और प्रोग्राम्ड होती हैं।
- निर्देशों पर निर्भरता (Dependence on Instructions): कंप्यूटर को हर कार्य के लिए स्पष्ट और सही निर्देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि निर्देश गलत या अधूरे हों, तो कंप्यूटर सही ढंग से कार्य नहीं कर सकता।
- सृजनशीलता की कमी (Lack of Creativity): कंप्यूटर स्वयं से कुछ नया नहीं बना सकता। यह केवल पहले से मौजूद डेटा और निर्देशों के आधार पर कार्य करता है। नई और सृजनात्मक चीजें बनाने के लिए मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
- अनुभव और निर्णय क्षमता की कमी (Lack of Experience and Decision-Making Ability): कंप्यूटर के पास अनुभव नहीं होता और यह अनुभव के आधार पर निर्णय नहीं ले सकता। यह केवल वर्तमान स्थिति और दिए गए निर्देशों के आधार पर कार्य करता है।
- सीमित ज्ञान (Limited Knowledge): कंप्यूटर का ज्ञान सीमित होता है और यह केवल उन्हीं चीजों को समझ सकता है जो इसके डेटाबेस में मौजूद होती हैं। इसके बाहर की जानकारी इसे समझ में नहीं आती।
- डेटा सुरक्षा की चुनौतियाँ (Data Security Challenges): कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से डेटा सुरक्षा एक बड़ी चुनौती होती है। साइबर हमलों और हैकिंग के खतरे हमेशा बने रहते हैं।
- मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता (Need for Human Intervention): कई मामलों में, कंप्यूटर को ठीक से संचालित करने के लिए मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। यह पूरी तरह से स्वायत्त (Autonomous) नहीं हो सकता।
- नैतिकता और संवेदनशीलता की कमी (Lack of Ethics and Sensitivity): कंप्यूटर नैतिकता और संवेदनशीलता नहीं समझ सकता। इसके द्वारा किए गए कार्य नैतिक दृष्टिकोण से सही या गलत हो सकते हैं, लेकिन यह इसका मूल्यांकन नहीं कर सकता।
- हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की सीमाएँ (Hardware and Software Limitations): कंप्यूटर की कार्यक्षमता और प्रदर्शन उसके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर निर्भर होते हैं। हार्डवेयर की विफलता या सॉफ्टवेयर में बग्स कंप्यूटर के कार्य में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Application of Computer):-
डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing)
सूचनाओं का आदान-प्रदान (Exchange of Information)
शिक्षा (Education)
वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research)
रेलवे और वायुयान आरक्षण (Railway and Airlines Reservation)
बैंक (Bank)
चिकित्सा (Medical)
रक्षा (Defense)
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology)
संचार (Communication)
उद्योगवव्यापार (Industry & Business)
मनोरंजन (Entertainment)
प्रकाशन (Publishing)
प्रशासन (Administration)
Note
1:भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत कब हुआ था।
भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत सन 1952 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता से हुई थी। सन 1952 में आई एस आई में एक एनालोंग कंप्यूटर की स्थापना की गई थी जो भारत का प्रथम कंप्यूटर था। यह कंप्यूटर 10 X 10 की मैट्रिक्स को हल कर सकता था।
इसी समय भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूर में भी एक एनालोग कंप्यूटर स्थापित किया गया था जिसका प्रयोग अवकलन विश्लेषक के रूप में किया जाता था।
लेकिन इन सब के बाद भी भारत में कंप्यूटर युग की वास्तविक रूप से शुरुआत हुई सन 1956 में, जब आई एस आई कोलकाता में भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC – 2M स्थापित किया गया। यह कंप्यूटर केवल भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक कंप्यूटर होने के कारण ख़ास नहीं था
बल्कि इसलिए भी ख़ास था क्योंकि इसकी स्थापना के साथ ही भारत जापान के बाद एशिया का दूसरा ऐसा देश बन गया था जिसने कंप्यूटर तकनीक को अपनाया था।
2: कम्प्यूटर साक्षरता दिवस कब मनाया जाता है ?
2 दिसंबर प्रतिवर्ष विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस (Computer Literacy Day) के रूप में मनाया जाता है।
3:कंप्यूटर साक्षरता किसे कहते है ?
कंप्यूटर प्रोग्राम को समझना और कंप्यूटर कैसे कार्य करता है, इसे कंप्यूटर साक्षरता कहा जाता है।
4 : Computer की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है ?
Computer की उत्पत्ति Compute शब्द से हुई है।जिसका अर्थ (calculation)हिसाब लगाना अथवा परिकलन करना होता है।