कभी हँसा देते हो तुम,कभी रुला देती हो तुम, कभी कभी नींद से जगा देती हो तुम, लेकिन जब भी हमे दिल से याद करती हो, तो सच में हमारी जिंदगी का एक पल बड़ा देती हो तुम।

चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई, चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए, हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे, माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।

संभाले नहीं संभलता है दिल, मोहब्बत की तपिश से न जला, इश्क तलबगार है तेरा चला आ, अब ज़माने का बहाना न बना।

आज मुझे ये बताने की इजाज़त दे दो, आज मुझे ये शाम सजाने की इजाज़त दे दो, अपने इश्क़ मे मुझे क़ैद कर लो, आज जान तुम पर लूटाने की इजाज़त दे दो.