जैसे सीता भी अधूरी थी राम के बिना , वैसे ही राधा भी अधूरी थी कृष्ण के बिना

श्याम की बंसी जब भी बजती है, राधा के मैन में प्रीत जगती है !!

तुमसे जोड़ तू में अपने जीवन की डोर मेरे मोहन, तू आए तो मेरे दिल की और!

मेरे मन की आंखों को जब तेरा दीदार हो जाता है, मेरा तो हर दिन मेरे मोहन त्योहार हो जाता है !!

हमने प्रेम की कितनी बाधा देखी, फिर भी कृष्णा के साथ राधा देखी…!!