सादगी से बढ़कर कोई श्रृंगार नहीं होता  और विनम्रता से बढ़कर कोई व्यवहार नहीं होता।

झूठे व्यक्ति की ऊंची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करवा देती है  लेकिन सच्चे व्यक्ति का मौन झूठे व्यक्ति कि नींव तक हिला देता है।

दुआ कभी साथ नही छोड़ती और बद्दुआ कभी पीछा नही छोड़ती।  जो दोगे वही लौटकर आएगा। फिर चाहे वह इज़्ज़त हो या धोखा।

रिश्तों को जोड़े रखने के लिए  कभी अंधा, कभी गंगा और कभी बहरा भी होना पड़ता है।

समय और भाग्य पर कभी अहंकार मत करो  क्योंकि ये दोनों परिवर्तनशील है।

हमारा व्यवहार गणित के शून्य की तरह होना चाहिए  जो स्वयं कोई कीमत नहीं रखता  लेकिन दूसरों के साथ जुड़ने पर उसकी कीमत बढ़ा देता है।